Vasundhara

The World of Indian Books

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40.00

अगले अँधेरे तक
जितेन्द्र भाटिया विज्ञान के अनुशासन से आने वाले लेखकों में सबसे महत्वपूर्ण कथाकार हैं. उनकी ये कहानियाँ अपने वक्त से संवाद करने के साथ ही उन नुक्तों को भी विश्लेषित करती हैं जिनसे जीवन का कार्य-व्यवहार संचालित होता है. ये कहानियाँ अपने समय की ऐसी अलग कहानियां हैं जो कथा-प्रयोगों की मारामारी के बीच भी अपनी पठनीयता से पाठक का ध्यान आकर्षित करती हैं. ‘ जितेन्द्र भाटिया की भाषा के भीतर की कोई अनियंत्रित आकुलता नज़र आती है जिसे वे सुविचारित ढंग से आकर देते चलते हैं’- प्रभु जोशी  

250.00

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30.00

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80.00

अच्छे विचारों का अकाल
‘आज भी खरे हैं तालाब’ के यशस्वी लेखक और पर्यावरणविद अनुपम मिश्र के महत्वपूर्ण भाषणों का संकलन!

250.00

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695.00

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105.00

अन्तोन चेख़फ़ की कहानियाँ
अनिल जनविजय द्वारा अनूदित और संकलित चेखफ़ की चुनी हुई कहानियाँ

325.00

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480.00

अमरकान्त संचयन
(Selected works of Amarkant)

480.00

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199.00

आदिवासी नहीं नाचेंगे
आदिवासी नहीं नाचेंगे झारखंड की पृष्ठभूमि पर लिखी कहानियाँ हैं जो एक तरफ तो अपने जीवन्त किरदारों के कारण पाठक के दिल में घर कर लेती हैं, और दूसरी तरफ वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक यथार्थ की ऐसी तस्वीर दिखाती हैं, जो वहाँ के मूल वासियों के प्रति हमारी मानसिकता और व्यवहार पर पुनर्विचार करने को मजबूर करती हैं। झारखंड के आदिवासियों के प्रति लेखक की गहरी संवेदना और वहाँ की ज़मीन से जुड़ाव हर कहानी में दिखता है। हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर पेशे से डाॅक्टर हैं और झारखंड सरकार में कार्यरत हैं। यह उनकी दूसरी पुस्तक है। उनकी पहली पुस्तक द मिस्टीरियस ऐलमेन्ट आॅफ़ रूपी बस्की को 2014 में ‘द हिन्दू प्राइज’ और ‘क्राॅसवर्ड बुक अवाॅर्ड’ के लिए शाॅर्टलिस्ट किया गया था। जून 2015 में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर की गिनती आज भारत के प्रभावी लेखकों में की जाती है।

250.00

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आधे अधूरे
मोहन राकेश का चर्चित हिंदी नाटक

299.00

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50.00

आहत देश
अरुंधती रॉय की अंग्रेजी लेख श्रंखला ‘Broken Republic: Three Essays’ का नीलाभ द्वारा हिंदी अनुवाद

150.00

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65.00

इश्क़ में माटी सोना
प्रेम में होना सिर्फ हाथ का बहाना ढूंढना नहीं होता. दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता है. “लप्रेक” उसी कशिस और टकराहट की पैदाइश है. – रविश कुमार “शहर के इश्क से इतर गाँव के इश्क को ‘शब्द के फ्रेम’ में ढालने में दिक्कतें आई | दिल्ली के कॉफ़ी हाउस, रेस्तराँ, सिनेमा हॉल या फिर पार्कों से दूर गाँव की कहानी साफ़ अलग है | गाँव में प्रेम तो है लेकिन उसके संग और भी बहुत कुछ हो रहा है | उस तरह की उन्मुक्तता नहीं है जो दिल्ली में दिख जाती है | यहाँ बंदिशें, नफरत, लड़ाई, जमीन को लेकर संघर्ष, राजनीति और कई तरह की रुकावटों के बीह्क पनपते प्रेम को हमने देखा और उसे बस लिख दिया | “

99.00

इश्क़ में शहर होना
एक टीवी पत्रकार ने जैसा जिया शहर को, लिखी उसमे पलनेवाले प्रेम की लघु कथाओं की श्रंखला. चौथे राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान से सम्मानित कृति. “प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है ! हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं ! उन कोनों में जिंदगी भर देते हैं….आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं ! और प्रेम में होना सिर्फ हाथ थामने का बहाना ढूंढना नहीं होता ! दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है ! ‘लप्रेक’ उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है !”

125.00

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235.00

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150.00

इक़बाल
लोकप्रिय शायर और उनकी शायरी

125.00

इक़बाल की जिंदगी और शायरी
शायर की जीवन कथा और चुनी हुई शायरी

60.00

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Products Attributes Price

Elif Shafak

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अगले अँधेरे तक
जितेन्द्र भाटिया विज्ञान के अनुशासन से आने वाले लेखकों में सबसे महत्वपूर्ण कथाकार हैं. उनकी ये कहानियाँ अपने वक्त से संवाद करने के साथ ही उन नुक्तों को भी विश्लेषित करती हैं जिनसे जीवन का कार्य-व्यवहार संचालित होता है. ये कहानियाँ अपने समय की ऐसी अलग कहानियां हैं जो कथा-प्रयोगों की मारामारी के बीच भी अपनी पठनीयता से पाठक का ध्यान आकर्षित करती हैं. ‘ जितेन्द्र भाटिया की भाषा के भीतर की कोई अनियंत्रित आकुलता नज़र आती है जिसे वे सुविचारित ढंग से आकर देते चलते हैं’- प्रभु जोशी  

250.00

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अच्छे विचारों का अकाल
‘आज भी खरे हैं तालाब’ के यशस्वी लेखक और पर्यावरणविद अनुपम मिश्र के महत्वपूर्ण भाषणों का संकलन!

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अन्तोन चेख़फ़ की कहानियाँ
अनिल जनविजय द्वारा अनूदित और संकलित चेखफ़ की चुनी हुई कहानियाँ

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अमरकान्त संचयन
(Selected works of Amarkant)

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आदिवासी नहीं नाचेंगे
आदिवासी नहीं नाचेंगे झारखंड की पृष्ठभूमि पर लिखी कहानियाँ हैं जो एक तरफ तो अपने जीवन्त किरदारों के कारण पाठक के दिल में घर कर लेती हैं, और दूसरी तरफ वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक यथार्थ की ऐसी तस्वीर दिखाती हैं, जो वहाँ के मूल वासियों के प्रति हमारी मानसिकता और व्यवहार पर पुनर्विचार करने को मजबूर करती हैं। झारखंड के आदिवासियों के प्रति लेखक की गहरी संवेदना और वहाँ की ज़मीन से जुड़ाव हर कहानी में दिखता है। हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर पेशे से डाॅक्टर हैं और झारखंड सरकार में कार्यरत हैं। यह उनकी दूसरी पुस्तक है। उनकी पहली पुस्तक द मिस्टीरियस ऐलमेन्ट आॅफ़ रूपी बस्की को 2014 में ‘द हिन्दू प्राइज’ और ‘क्राॅसवर्ड बुक अवाॅर्ड’ के लिए शाॅर्टलिस्ट किया गया था। जून 2015 में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर की गिनती आज भारत के प्रभावी लेखकों में की जाती है।

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आधे अधूरे
मोहन राकेश का चर्चित हिंदी नाटक

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अरुंधती रॉय की अंग्रेजी लेख श्रंखला ‘Broken Republic: Three Essays’ का नीलाभ द्वारा हिंदी अनुवाद

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इश्क़ में माटी सोना
प्रेम में होना सिर्फ हाथ का बहाना ढूंढना नहीं होता. दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता है. “लप्रेक” उसी कशिस और टकराहट की पैदाइश है. – रविश कुमार “शहर के इश्क से इतर गाँव के इश्क को ‘शब्द के फ्रेम’ में ढालने में दिक्कतें आई | दिल्ली के कॉफ़ी हाउस, रेस्तराँ, सिनेमा हॉल या फिर पार्कों से दूर गाँव की कहानी साफ़ अलग है | गाँव में प्रेम तो है लेकिन उसके संग और भी बहुत कुछ हो रहा है | उस तरह की उन्मुक्तता नहीं है जो दिल्ली में दिख जाती है | यहाँ बंदिशें, नफरत, लड़ाई, जमीन को लेकर संघर्ष, राजनीति और कई तरह की रुकावटों के बीह्क पनपते प्रेम को हमने देखा और उसे बस लिख दिया | “

99.00

इश्क़ में शहर होना
एक टीवी पत्रकार ने जैसा जिया शहर को, लिखी उसमे पलनेवाले प्रेम की लघु कथाओं की श्रंखला. चौथे राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान से सम्मानित कृति. “प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है ! हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं ! उन कोनों में जिंदगी भर देते हैं….आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं ! और प्रेम में होना सिर्फ हाथ थामने का बहाना ढूंढना नहीं होता ! दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है ! ‘लप्रेक’ उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है !”

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इक़बाल
लोकप्रिय शायर और उनकी शायरी

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इक़बाल की जिंदगी और शायरी
शायर की जीवन कथा और चुनी हुई शायरी

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