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The World of Indian Books
आदिवासी नहीं नाचेंगे झारखंड की पृष्ठभूमि पर लिखी कहानियाँ हैं जो एक तरफ तो अपने जीवन्त किरदारों के कारण पाठक के दिल में घर कर लेती हैं, और दूसरी तरफ वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक यथार्थ की ऐसी तस्वीर दिखाती हैं, जो वहाँ के मूल वासियों के प्रति हमारी मानसिकता और व्यवहार पर पुनर्विचार करने को मजबूर करती हैं। झारखंड के आदिवासियों के प्रति लेखक की गहरी संवेदना और वहाँ की ज़मीन से जुड़ाव हर कहानी में दिखता है। हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर पेशे से डाॅक्टर हैं और झारखंड सरकार में कार्यरत हैं। यह उनकी दूसरी पुस्तक है। उनकी पहली पुस्तक द मिस्टीरियस ऐलमेन्ट आॅफ़ रूपी बस्की को 2014 में ‘द हिन्दू प्राइज’ और ‘क्राॅसवर्ड बुक अवाॅर्ड’ के लिए शाॅर्टलिस्ट किया गया था। जून 2015 में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर की गिनती आज भारत के प्रभावी लेखकों में की जाती है।
₹250.00