Vasundhara

The World of Indian Books

इश्क़ में माटी सोना

प्रेम में होना सिर्फ हाथ का बहाना ढूंढना नहीं होता. दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता है. “लप्रेक” उसी कशिस और टकराहट की पैदाइश है. – रविश कुमार “शहर के इश्क से इतर गाँव के इश्क को ‘शब्द के फ्रेम’ में ढालने में दिक्कतें आई | दिल्ली के कॉफ़ी हाउस, रेस्तराँ, सिनेमा हॉल या फिर पार्कों से दूर गाँव की कहानी साफ़ अलग है | गाँव में प्रेम तो है लेकिन उसके संग और भी बहुत कुछ हो रहा है | उस तरह की उन्मुक्तता नहीं है जो दिल्ली में दिख जाती है | यहाँ बंदिशें, नफरत, लड़ाई, जमीन को लेकर संघर्ष, राजनीति और कई तरह की रुकावटों के बीह्क पनपते प्रेम को हमने देखा और उसे बस लिख दिया | “

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