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नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रो. अमर्त्य सेन की जिन कुछ रचनाओं ने संसार में तहलका मचा दिया, उनमें से एक यह पुस्तक है । इसमें दार्शनिक, सामाजिक, अर्थशास्त्रीय, गणितीय आदि सभी दृष्टियों से आर्थिक विषमता का विवेचन किया गया है और बहुत गहराई से उनकी छानबीन की गई है। सामूहिक चयन और समाज कल्याण की अर्थशास्त्रयों से प्रचलित विचारधाराओं को आर्थिक विषमता के व्यावहारिक क्षेत्र से जोड़कर उन्होंने एक ऐसे ढाँचे का निर्माण किया है जिसके आधार पर मनुष्य जीवन की प्रमुख समस्या, गरीबी, से सही ढंग से निबटा जा सकता है। इस प्रक्रिया से उन्होंने कुछ प्रचलित विचारों को खारिज भी किया है और कुछ को स्वीकार करके उन पर आगे काम किया है। उन्होंने कार्ल मार्क्स की साम्यवादी विचारधारा तथा चीनी साम्यवादी प्रयोग की “लम्बी छलाँग” और “सास्कृतिक क्रान्ति” की योजनाओं का रोचक विश्लेषण भी किया है ।
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