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कबीर वाणी

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥

कबीर

दिनांक 12 मई, रविवार की शाम वसुंधरा मंच पर ‘कबीर वाणी कार्यक्रम’ रखा गया। इस सुंदर कार्यक्रम में पधारे वसुंधरा सदस्यों का स्वागत नीरज गोस्वामी ने किया, तत्पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत वसुंधरा मंच के दो महत्वपूर्ण सदस्यों और कबीर को अपने जीवन में सबसे नज़दीक पाने वाले सेंगधीर जी और अमनदीप जी ने की।

सेंगधीर जी ने अपने निजी जीवन में कबीर से जुड़ने के किस्से को साझा करते हुए बताया कि शुरुआती समय में कबीर की पंक्तियां उन्हें केवल सामान्य मोटिवेशनल भर की पंक्तियां लगती थीं। लेकिन जब आपने कुमार गंधर्व की आवाज़ में, “सुनता है गुरुज्ञानी” सुना तो कबीर की ओर गम्भीर रूप से आकर्षित हुए। और जब इसी आकर्षण के चलते आपने कबीर को तमिल में खोजा तो केवल निराशा हाथ लगी लेकिन कबीर ठहरे प्रेरक वक्ता उन्होंने आपको ही तमिल में अनुवाद करने का काम सौंप दिया। इस साधना का परिणाम ये हुआ कि आपने अबतक कबीर पर करीब 100 अनुवाद तमिल में किए।

सेंगधीर जी

तत्पश्चात अमनदीप सिंह कपूर जी ने भी राजस्थान कबीर यात्रा से जुड़ने की कहानी को बड़े रोचक अंदाज़ में बताते हुए कहा; वे 2016 में आईपीएस के ओहदे से उस समय दंगों को रुकवाने बीकानेर पहुँचे थे लेकिन जब दंगे रुक गए और माहौल शांत हुआ तो मुझे बीकानेर जैसे शहर जहां कस्बों के नाम के आगे श्री लगता है (श्री कोलायत, श्री गंगानगर आदि) ऐसे सज्जन लोगों के शहर में दंगे होना स्वीकार नहीं हुआ। आगे उन्होंने बताया कि बीकानेर की लोकायन संस्था द्वारा शुरू की गई एक सार्थक पहल “राजस्थान कबीर यात्रा” को 4 वर्षों के अंतराल के बाद आपने पुलिस के साथ जोड़कर आमजन को कबीर से रूबरू करवाया।

अमनदीप सिंह कपूर

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए  विशाल विक्रम जी ने  बनारस से पधारे गायक डॉ. गजेन्द्र कुमार पांडेय,  जयपुर की गुलज़ार एकेडमी के संस्थापक वायलिन वादक गुलज़ार हुसैन और तबला वादक मेराज हुसैन का परिचय करवा प्रस्तुति हेतु मंडली को मंच पर आमंत्रित किया।

 विशाल विक्रम

फिर जिस अंदाज में कबीर को गाया गया वो वहाँ बैठे हर सदस्य को मुग्ध कर गया। 2 घंटे के कार्यक्रम में दर्शक झूमकर, ताली बजाकर कबीर में यूँ गुम थें, मानो उन्हें स्वयं की कोई सुध ही न हो। हो भी क्यों…! कुमार गंधर्व को जस का तस गाने वाले गजेंद्र जी बनारस घराने के पंडित अनूप मिश्रा जी से दीक्षित हैं।

( बाएं से दाएं: मेराज हुसैन, गजेंद्र पांडेय, गुलज़ार हुसैन )

 “उड़ जाएगा हंस अकेला से अपने गायन की शुरुआत कर “जरा धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले”, “भला हुआ मोरी गगरी फूटी”, माटी कहे कुम्हार से… जैसे एक से बढ़कर एक भजन ईश्वरीय तार से जुड़कर मुक्त कंठ से गाए जा रहे थे। इस मुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति को वायलिन वादक गुलजार हुसैन और तबला वादक मेराज हुसैन की तान की संगत और खूबसूरत कर रही थी। वसुंधरा के मंच पर इस त्रयी का कमाल रहा कि ये कार्यक्रम अपने आप में एक अनूठा कार्यक्रम बन गया।

इस विरले कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों और गायक मंडली के साथ-साथ विशाल विक्रम जी का धन्यवाद जिन्होंने न केवल हमें गजेंद्र जी से मिलवाया बल्कि वसुंधरा मंच की यात्रा में एक अनूठी शाम जोड़ दी। 

शुक्रिया…।

 ~चेतना शर्मा

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